
निष्पक्ष पत्रकार समाचार/मोहम्मद फैसल सिद्दीकी/ लखनऊ प्रोफेसर डॉक्टर आल अहमद मुमताज़ पी जी कालेज ने कहा भारतीय पराक्रम की प्रतीक—दो महिला सेना कमांडेंटों को सलाम भारतीय सेना की वीरता और पराक्रम की कहानियाँ इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हैं। लेकिन जब इस पराक्रम की अगुवाई महिलाएँ करती हैं। तो वह केवल सैन्य शौर्य का प्रतीक नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव और नारी सशक्तिकरण की एक प्रेरणादायक मिसाल भी बन जाती है। हाल ही में दो महिला सेना कमांडेंटों ने सीमापार कार्रवाई के दौरान नेतृत्व करते हुए न केवल दुश्मन को करारा जवाब दिया बल्कि यह भी सिद्ध किया कि राष्ट्र की रक्षा में महिलाएँ किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं हैं। इन दोनों वीरांगनाओं ने न केवल अपने साहस रणनीतिक कौशल और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। बल्कि यह भी दिखा दिया कि युद्धभूमि पर निर्णय लेना सैनिकों का मनोबल बनाए रखना और सटीक हमले करना केवल पुरुषों की विशेषता नहीं है। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने सीमापार पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डों पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई को सफलता से अंजाम दिया। जिससे न केवल राष्ट्र की सुरक्षा को मजबूती मिली बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सैन्य प्रतिष्ठा भी बढ़ी। यह घटनाएँ उस परिवर्तन का प्रतीक हैं जो भारतीय सशस्त्र बलों में धीरे-धीरे आकार ले रहा है। जहाँ लिंक नहीं बल्कि काबिलियत, समर्पण और नेतृत्व प्रमुख मानदंड हैं। इन महिला कमांडेंटों की यह उपलब्धि केवल सैन्य क्षेत्र तक सीमित नहीं बल्कि देश की हर बेटी के लिए प्रेरणा है। जो आकाश को छूने का सपना देखती है।
सरकार समाज और सशस्त्र बलों को चाहिए कि ऐसे उदाहरणों को जन-जन तक पहुँचाया जाए और महिलाओं के लिए रक्षा सेवाओं में और अधिक अवसर खोले जाएँ। इससे एक ऐसा वातावरण बनेगा जहाँ हर महिला यह विश्वास रख सके कि राष्ट्र सेवा का हर मार्ग उसके लिए खुला है। इन दोनों बहादुर कमांडेंटों को सम्पूर्ण राष्ट्र की ओर से नमन उन्होंने यह साबित कर दिया कि जब नारी शक्ति बंदूक उठाती है तो दुश्मन की नींव तक हिल जाती है। यह केवल विजय नहीं यह भारतीय नारी की जयगाथा है। प्रोफेसर डॉक्टर आल अहमद मुमताज़ पीजी कालेज लखनऊ उत्तर प्रदेश