
निष्पक्ष पत्रकार समाचार/मोहम्मद फैसल सिद्दीकी/बाराबंकी। अनोखी मिसाल शादी के 2 दिन पहले मांझे हल्दी की रस्म दिखवा दस्तार-बंदी का हुआ आयोजन। शादी के 2 दिन पहले मांझे की रस्म के दिन दूल्हे के छोटे भाई के हाफिज कुरान बनने पर दस्तार-बंदी की रस्म अदा की गई। आपको बताते चले जैसे सभी को मालूम है की शादी के 2 दिन पहले मांझे वाले दिन लोग हल्दी की रस्म अदा करते हैं,और नाच गाने डीजे बजाए जाते हैं,मगर दूल्हे के पिता और उन के घर वालों ने इस रस्म को न मानने का फैसला किया आप को बताते चले कि उसी दिन दूल्हे के छोटे भाई मो उबेद को हाफिज कुरान बनने पर उनके उस्तादों और शहर के उलमा ने सर पर दस्तार बांधकर इस गैर इस्लामी रस्म ख़त्म करने की एक पहल और शुरूआत की
नातेदार रिश्तेदार व शहर वासियों ने इस की मुबारकबाद दी इस मौके पर एक मिनारा मस्जिद के इमाम व ख़तीब मौलाना रफी कासमी ने बताया निकाह करना सुन्नत है। शादी वलीमा है शादी के मौके पर नाच गाना करना डीजे बजाना सब हराम है,ऐसे कामों के लिए अल्लाह और उन के रसूल ने सख्ती से मना फ़रमाया है। देखा जाए तो हर शादी के कार्ड पर निक़ाह मिन सुन्नती लिखा होता है मगर कोई काम सुन्नत के हिसाब से नहीं दिखाई देता जो हमारे अफसोस और शर्म की बात है आज बहुत खुशी की बात है की हाजी परवेज आलम ने ये अनोखी मिसाल कायम करते हुए अपने बेटे का मांझा न कर के कौम व मिल्लत को रास्ता दिखा दिया कि मांझा हल्दी रस्म सिर्फ एक दिखावा है,इस कामों से बचे एक न एक दिन हम सबको अल्लाह के सामने से जाना है। और सभी का जवाब देना है,उस्ताद क़ारी सुहैल ने कहा जो काम सुन्नत के खिलाफ हो वह काम हम लोगों को ना करना चाहिए, शादी के कुछ दिन पहले रस्म मांझे हल्दी से अच्छा है किसी मौलाना से शादी के सिलसिले में बयानात करा दिया करे जिससे हमारी कौम को शादी की सुन्नत के तरीके के बारे में मालूम हो सके, और उन्होंने आगे कहा कि हर एक घर में हाफिज कुरान होना बहुत जरूरी है,इस मौके पर मौलाना अख़लाक़ नदवी मौलाना ज़ैद नदवी,मो वेश सलमानी,पूर्व ब्लाक प्रमुख हशमत अली गुड्डू,हाजी शफीक सलमानी, अब्दुल्लाह,शानू,शकील सलमानी,हाजी जमील,शुवेब किदवई,सगीर अमान उल्लाह पत्रकार,आदि सैकड़ो लोगों ने मुबारकबाद दी।