विंध्याचल नवरत्न में हिरे की तरह एहसास देने वाले गरीब असहाय लाचारों के बीच में पहुंचकर प्रकाश मय कर देने वाले मोहन मिश्रा ने आज हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अपने जन्मदिन के शुभ अवसर पर जरूरतमंदों के बीच में पहुंचकर जरूरतमंद सामग्रिक दे प्रफुल्लित दिख रहे थे।जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहा रत्न मोहन मिश्रा विंध्याचल नवरात्रि में भक्तों को निरंतर निशुल्क भंडार प्रसाद का वितरण करना लॉकडाउन से लेकर हर परिस्थिति स्थिति में असहाय गरीब लाचार वृद्ध जन के सहयोग के लिए सदैव खड़े रहना समाज सेवी रत्न मोहन मिश्रा की एक अलग छवि और पहचान रहा करती है मिश्रा जी ने कहा की क्या लेकर आए हैं और क्या लेकर जाएंगे इसलिए समाज में उनके लिए भी जिया जाता है जिन लोगों को देखकर समाज के कुछ लोग मुंह फेर लिया करते हैं आखिरकार जो लाचार है वृद्धि है बीमार है मेरा मानना है कि प्रभु द्वारा किसी न किसी रूप में इनके लिए सहायक के रूप में यथाशक्ति यथासंभव हमको भेजा हैं मैं निरंतर ऐसे लोगों का सहयोग करता चला आ रहा हूं और आगे भी इसी तरह से करता रहूंगा इस तरह के लोगों का सहयोग करने का मां भगवती ने हमको यथाशक्ति निरंतर सहयोग करने की शक्ति दी है यह मेरा परम सौभाग्य है।