उत्तर प्रदेश के जनपद मिर्जापुर के मां विंध्याचल धाम में आचार्य राजन गुरु जी महाराज ने श्री मद्भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण भगवान का जन्म हुआ, गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मंथन,, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की कथा और नंद बाबा के यहां भगवान श्री कृष्ण जन्म के साथ ही कन्हैया की लीला, प्रसंगों का सिलसिलेवार वर्णन कर श्रोताओं को भक्ति रस से भर दिया। उन्होंने बताया कि जब जब पृथ्वी पर अधर्म का बोलबाला बढ़ जाता है तो सर्वत्र हिसा और उपद्रव दिखाई देती है। गोमाता, संतों व ब्राह्मणों पर जब दुष्ट लोग अत्याचार करते हैं तब प्रभु वैकुंठ त्याग कर धराधाम में अवतरित होते हैं। कथा प्रसंग में श्री राम अवतार के साथ संक्षिप्त में राम कथा का वर्णन करते हुए बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भगवान कभी जन्म नहीं लेते, अवतार धारण करते हैं, प्रकट होते हैं और प्रकट वहीं होते हैं जो पहले से विद्यमान हो। भगवान तो कण कण में मौजूद रहते हैं। श्री राम अवतार कथा के दौरान उन्होंने कहा कि श्री राम कथा कलयुग में कामधेनु के समान है। कलिकाल में राम नाम स्मरण एवं भागवत कथा श्रवण मात्र से ही जीव कष्टों से छुटकारा पा सकता है। वहीं उन्होंने बताया कि विश्वास से कथा श्रवण करने से कथा जीवन का सुधार कर देती है। वैसे भी राम कथा श्रवण करने से जीव का संशय समाप्त हो जाता है और दुख दूर हो जाते हैं। उन्होंने कथा श्रवण पर जोर देते हुए कहा कि आवश्यकता है कि हर घर में मर्यादा पुरुषोत्तम राम व श्री कृष्ण अवतरित हों। उनके नैतिक मूल्यों की स्थापना हो। भगवान श्री कृष्ण व मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का धरा आगमन सच्चे अर्थों में मानवता की स्थापना के लिए हुआ था। इस अवसर पर आचार्य ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव की बड़ी ही मनोरम कथा का बखान किया। इस कड़ी का सबसे अहम पहलू यह रहा कि जब भगवान को सिर पर टोकरी में लेकर पहुंचे तब पूरा कथा स्थल नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की.., जयकारों से एक तरह से वृंदावन में तब्दील हो गया। पुष्पों की वर्षा करते हुए श्रद्धालुओं ने मां विंध्याचल के धाम मे श्री कृष्ण के बाल लीला की कथाओं को सुन, श्रद्धालु जमकर झूमे और फूलों की वर्षा की।